!! मधुशाला साहित्यिक परिवार उदयपुर राजस्थान के ऑफिशियल वेबसाइट में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत हैं !!

Wednesday, August 5, 2020

डिप्रेशन अवसाद










"आजकल डिप्रेशन या अवसाद हर घर की कहानी बनता जा रहा है"
+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×

"समाप्त कर देना अपना जीवन,
संसार से लुप्त हो जाना।
बहुत दुखदायी होता है ,
यूँ खुद को मिटा लेना।"


डिप्रेशन या अवसाद
---------------------------

अवसाद को अंग्रेजी में "डिप्रेशन" भी कहते हैं। 
बहुत से लोगो का यह मानना है कि डिप्रेशन बढ़ती आयु का परिणाम है और वृद्ध लोगों मे अधिक देखने को मिलता है। 
परन्तु ऐसा नहीं है अवसाद किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है।
कभी - कभी हम सब जीवन में किसी ना किसी बात को लेकर थोड़ा परेशान हो जाते हैं। परन्तु इसे हम डिप्रेशन नहीं कह सकते क्योंकि यह आजकल की एक नार्मल प्रक्रिया है ।
परन्तु जब एक ऐसा दुखद अहसास काफी लम्बे समय तक हमें अपनी गिरफ्त में रखता है। हमें कुछ अच्छा नहीं लगता । यहाँ तक की हम खुद को भी पसंद नहीं करते। उदासी, काम में मन ना लगना , किसी से बात नहीं करना, अकेले रहना, स्वयं को कमरे में बंद रखना, खाना ना खाना, सोचते रहना, नकारात्मक विचारों से घिरे रहना , किसी पर विश्वास नही करना । आदि सब अवसाद, डिप्रेशन के कारण हैं।

डिप्रेशन के कारण:- 
-------------------------
ऐसे तो डिप्रेशन के अनेको कारण हैं यहाँ मै उन में से कुछ कारण बता रही हूँ जो निम्नलिखित प्रकार से हैं:- 
1. मनुष्य अपने जीवन में काफी दुखी रहने लगता है। उसे हर चीज़ मे दुख का अनुभव होता रहता है।
2. किसी से प्रेम करता है परन्तु अपना प्रेम नहीं प्राप्त कर पाता।
3. अचानक नौकरी चली जाती है।
4. वैवाहिक जीवन ये कड़वाहट आने लगती है।5. प्रेमिका छोड़कर कहीं चली जाती है।
6. किसी बहुत करीबी की मौत हो जाती है।
7. व्यापार में नुकसान होकर सब बर्बाद हो जाता है।
8. परिवार की सारी ज़िम्मेदारी एक के ऊपर ही होना और उसका सही से पूर्ण ना कर पाना।
9. नौकरी ना मिलना।
10. व्यापार में घाटा
आदि अनेको कारण हैं।
 
अभी कुछ दिन पूर्व एक व्यक्ति की लाश रेल की पटरी पर मिली। कारण पता किया तो वह व्यक्ति लॉकडाउन मे व्यापार मे हानि होने से परेशान था। परिवार सड़क पर आ गया था इसलिए बर्दाश्त नहीं कर पाया और अवसाद का शिकार हो गया फिर एक दिन उसने आत्महत्या कर ली। 
दूसरा उदाहरण उन विधार्थियों का है जो परीक्षा मे असफल हो जाते हैं और अवसाद ग्रसित होकर आत्महत्या कर लेते हैं। 
महिलाओ को प्रताड़ित करना भी आत्महत्या को बढ़ावा देता है।

अवसाद अमीरी गरीबी देखकर नहीं होता । किसी को कभी भी, कहीं भी, किसी भी आयु मे अवसाद हो सकता है।
एक जवान युवक, युवती, वृद्ध पुरूष या महिला , यहाँ तक कि एक बच्चा भी अवसाद का शिकार हो सकता है।
चिकित्सकों के अनुसार जिन लोगों के परिवार मे अवसाद का इतिहास रहा हो वहाँ उस परिवार के लोगों को यह हो सकता है। निर्भर करता है स्थिति पर।

कुछ शोधों के मुताबिक अवसाद या डिप्रेशन सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है। लेकिन किशोरों ,युवाओं , बीच की उम्र वाली महिलाओं , 60 वर्ष से अधिक के लोगों मे यह समस्या अधिक देखी गई है। डब्ल्यूएचओ ने हाल ही मे अपने एक शोध मे यह खुलासा किया है कि 39 करोड़ से अधिक लोग अवसाद के पीड़ित हैं। भारत मे हर चौथा किशोर अवसाद से ग्रस्त है। गरीबी, बेरोज़गारी, प्रेमिका से विवाह ना पाना सब आत्महत्या की ओर प्रेरित करते हैं।
अवसाद के कारण महिलाओं मे आत्महत्या का आकड़ा तीव्रता से आगे बढ़ा है।
महिलाओं मे अवसाद पुरुषों से अलग तरह के देखे गए हैं। अवसाद मे महिलाए कभी बहुत खुश रहती हैं तो कभी कभी छोटी सी बात पर गुस्सा हो जाती हैं, चिल्लाने लगती हैं और फिर अपने आप ही ठीक हो जाती हैं। परन्तु कुछ महिलाओं मे अवसाद बढ़ जाने पर आत्महत्या के केस देखे गए हैं।
सरकार ने भी अब अवसाद मे आत्महत्या का कदम उठाने वालो को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है।

शहर हो या गाँव अवसादी व्यक्ति हर स्थान पर मिलेगा।

डिप्रेशन से बचने के उपाय:- 
----------------------------------
अवसाद से कुछ निम्नलिखित नियमों का पालन करके बचा जा सकता है :- 

1. सबसे पहले तो नकारात्मक विचारों को मन मे ना आने दें।

2. प्यार और प्रेम ऐसे व्यक्ति से करें जो विश्वास का पात्र हो। 

3. अच्छी नींद लेने की आदत डालें। कम से कम आठ घंटे बेहद आवश्यक है।

4. बाहर टहलने जाएँ और अधिक से अधिक पेड़ो को देखें। 

5. योग करें (चाहे सुबह या शाम), मेडिटेशन करें।

6. अपने अच्छे मित्र बनाएं जो आपको अच्छी कम्पनी दे सकें।

7. सूरज के प्रकाश मे कुछ देर ज़रूर रहें ।

8. भोजन मे हेल्दी फूड खाएं।

9. जूस जो भी अच्छा लगता हैं पीयें।

10. मुहँ में चिविंगम या इलाइची चबाते रहें कहते हैं इससे भी आप तरोताज़ महसूस करेगें और मन मे शुद्ध विचार आयेगें।

11. अगर किसी लड़की को पसंद करते हैं तो उससे डायरेक्टर बात करें ।

12. किसी से एक तरफा प्यार ना करें।

13. उम्र रहते विवाह कर लें।

14. सप्ताह में एक दिन अपने व अपने परिवार के लिए ज़रूर समय निकालें।

15. जब भी छुट्टियाँ मिलें परिवार के साथ बाहर घूमने जाएँ।

आप स्वयं महसूस करेगे कि आप अवसाद से कोसो दूर हैं।


अवसाद को दूर करने मे परिवार की भूमिका:- 
--------------------------------------------------------
अवसाद के लिए चिकित्सको के अपने अपने विचार हैं। बहुत से कहते हैं कि अवसादी व्यक्ति को दवा से अधिक परिवार के प्रेम व साथ की ज़रूरत होती है। 
एंटी डिप्रेसेंट दवाएँ सबसे पहले 1950 में बनी थी। कुछ चार प्रकार के एंटी डिप्रेसेंट्स हैं जो मानव मस्तिष्क को अलग तरीकें से प्रभावित करते हैं।
परिवार का सहयोग दवाओ से अधिक कारगर साबित होता है।

निष्कर्ष:- 
------------
हम यही कह सकते हैं कि अवसाद से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं प्रयत्न करने होगें।
उन बातों से दूर रहना होगा जो दुख और अवसाद उत्पन्न करती हैं।
परिवार मे ऐसे व्यक्ति पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जो अवसाद से ग्रस्त है।
कहते हैं हर रोग का इलाज संभव है अगर सही ढंग से किया जाएं। मरीज़ को भी डाक्टर को पूर्ण रूप से सहयोग करना चाहिए।
प्रत्येक बीमारी का ईलाज हमारा परिवार ही है।
आपसी प्रेम, सहारे के हम बड़ी से समस्याओं का सामना भी कर सकते हैं।

धन्यवाद
शाहाना परवीन...✍️
पटियाला पंजाब

No comments:

Post a Comment