मुक्तक
Madhushal Poetry
5.8.20
1 Comments
खुशी मिलती है मुझे तेरी इबादत करके,
और दिन रात सिर्फ तेरी ही चाहत करके,
वैसे मिल जाएँगी दुनियाँ में सारी ख़ुशियाँ,
मुझे आराम मिले हैं तुझसे मुहब्बत करके।
मुहब्बत की खुशबू को फैलाया कीजिए,
ईद और दिवाली पर हमें बुलाया कीजिए,
तनहा काटोगे कैसे यह सफर जिंदगी का,
कभी आईने में देखकर शरमाया कीजिए।
खुदा की याद करने को ही इबादत कहते हैं,
भल मानसी में रहने को ही शराफ़त कहते हैं,
मुहब्बत के वैसे तो तरीके बहुत है ज़माने में,
उसे हर पल याद रखने को मुहब्बत कहते हैं।
तेरा एहसास मेरी धड़कनों में रहता हरदम,
तेरा विश्वास मेरी आरज़ुओं में रहता हरदम,
तेरी मुहब्बत ही बन गयी है मेरी जिंदगी अब,
तेरा अखलाक मेरे जज्बातों में रहता हरदम।
मीनाक्षी
जालंधर