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Wednesday, August 5, 2020

मुक्तक

5.8.20 1 Comments






खुशी मिलती  है मुझे तेरी  इबादत करके,
और दिन रात सिर्फ  तेरी ही  चाहत करके,
वैसे मिल जाएँगी दुनियाँ में सारी ख़ुशियाँ,
मुझे आराम मिले हैं तुझसे मुहब्बत  करके। 

मुहब्बत की खुशबू को  फैलाया कीजिए,
ईद और दिवाली पर हमें बुलाया कीजिए,
तनहा काटोगे कैसे यह सफर जिंदगी का,
कभी आईने में देखकर शरमाया कीजिए। 

खुदा की याद करने को ही इबादत कहते हैं,
भल मानसी में रहने को ही शराफ़त कहते हैं,
मुहब्बत के वैसे तो तरीके बहुत है ज़माने में,
उसे हर पल याद रखने को मुहब्बत कहते हैं। 

तेरा  एहसास मेरी  धड़कनों में रहता हरदम,
तेरा विश्वास मेरी आरज़ुओं में रहता हरदम,
तेरी मुहब्बत ही बन गयी है मेरी जिंदगी अब,
तेरा अखलाक मेरे जज्बातों में रहता हरदम। 

मीनाक्षी 
जालंधर

Monday, July 27, 2020

गीत प्रीत के ही हर पल मैं गाता रहूँ।

27.7.20 0 Comments


(1)
गीत प्रीत के ही हर पल मैं गाता रहूँ।
अपने प्रीतम से प्रेम यूँ जताता रहूँ।
वो समझे न समझे,ये है उसका मन।
उसकी यादों में, मैं आता जाता रहूँ।
(2)
हमने भी तुमको अपना बना लिया होता।
गर नज़रों को उस दिन मिला लिया होता।
मन को मना लिया कुछ पल ठहर जाने को।
वरना अधरों ने तो प्रेम गीत गा लिया होता।
(3)
बहुत ही दूर हो मुझसे,फिर भी पास लगते हो।
मुझे उम्मीद है जिसकी,वही तुम आस लगते हो।
अभी भी इंतजार है मुझे, तुम्हारे लौट आने का।
सुना है आजकल तुम भी, बहुत उदास रहते हो।
(4)
प्रेम पथिक बन कर यूँ ही,तेरा साथ निभाएंगे।
खो कर तेरी यादों में, अब सबको प्रेम सिखाएंगे।
अपने प्रीत की रंगोली को तेरे नाम से सजायेंगे।
तुम गर राधा हो मेरी तो, हम कान्हा बन जायेंगे।

✍अमित पाण्डेय
डूंगरपुर(राजस्थान)