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Monday, July 27, 2020

गीत प्रीत के ही हर पल मैं गाता रहूँ।



(1)
गीत प्रीत के ही हर पल मैं गाता रहूँ।
अपने प्रीतम से प्रेम यूँ जताता रहूँ।
वो समझे न समझे,ये है उसका मन।
उसकी यादों में, मैं आता जाता रहूँ।
(2)
हमने भी तुमको अपना बना लिया होता।
गर नज़रों को उस दिन मिला लिया होता।
मन को मना लिया कुछ पल ठहर जाने को।
वरना अधरों ने तो प्रेम गीत गा लिया होता।
(3)
बहुत ही दूर हो मुझसे,फिर भी पास लगते हो।
मुझे उम्मीद है जिसकी,वही तुम आस लगते हो।
अभी भी इंतजार है मुझे, तुम्हारे लौट आने का।
सुना है आजकल तुम भी, बहुत उदास रहते हो।
(4)
प्रेम पथिक बन कर यूँ ही,तेरा साथ निभाएंगे।
खो कर तेरी यादों में, अब सबको प्रेम सिखाएंगे।
अपने प्रीत की रंगोली को तेरे नाम से सजायेंगे।
तुम गर राधा हो मेरी तो, हम कान्हा बन जायेंगे।

✍अमित पाण्डेय
डूंगरपुर(राजस्थान)

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