भभूति रमाये बाबा,
बाघाम्बरधारी प्रभु।
गले नाग लटकाए,
धर्यो कैसो वेश है।।
गौरा वाम भाग राजे,
भंडार भरे है नाथ।
नाथ आशुतोष मेरे,
धाम ऋषिकेश है।।
महलों में राखे मुझे,
खुद वनवास करे।
मुक्त केश गङ्गा साजे,
सिर पे राकेश है।।
भूतों की टोली सजाये,
कैलाश पति कहाये।
निस दिन ध्यावु तुझे,
नमामि नागेश है।।
-राम पंचाल भारतीय
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