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Tuesday, July 28, 2020

"यही तो है मानवता"







शीर्षक-" यही तो है मानवता"

जीवन के पथ पर चलना है-
गम खुशियों में  ही पलना है,
कंटक हटा-हटाकर ही तो-
सुरभित फूलों को चुनना है.
जीवन के पथ....

परिवार में हिल-मिल रहना-
सदा बड़ों का आदर करना,
छोटों को नेह न देना भूलो-
संस्कार का ही दम भरना.
जीवन के पथ....

भेदभाव का नाम न लेना-
परहित, प्रेम परस्पर करना,
भू,जल,गगन,अग्नि,वायु से-
निर्मित तन पर गुमां न करना.
जीवन के पथ...

नर-नारी पूरक सृष्टि के-
शिव-शक्ति के अनुपम रूप,
पूत,सुता से ही मानवता-
दिखे जगत में  रे अपरूप.
जीवन के पथ...

खुद जियो, सबको जीने दो-
ध्येय वाक्य यह संग रखो,
सच्ची मानवता अपनाकर-
भू पर जीने का मजा चखो.
जीवन के पथ...
   
रचयिता- डा.अंजु लता सिंह
नई दिल्ली

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