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Saturday, August 15, 2020

बड़े बाउ जी








-राम राम बाउ जी!
-खुश रहो,तंदरुस्त रहो,जीती रहो बिटिया रानी..जे जो आफत चल रई है ना कोरोना नाम की, इससे बचे रहो बस सबई.ध्यान रखो सब अपना..बाकी ऊपर वाले पे छोड़  दो.
मेरे अभिवादन का बाउजी ने फौरन जवाब दिया था.
दिन भर बाउ जी को राम राम करने वालों  के स्वर काॅलोनी में  हमेशा ही गूंजते रहते थे.
हमारे सामने वाले घर में  सेवानिवृत्त हुए हैडमास्टर शर्मा जी ने अपने बुजुर्ग पिताजी को चौथी मंजिल पर बने कमरे में परसों ही शिफ्ट कराया था शायद.
छोटे से कमरे में पड़े तख्त पर वे  कभी बैठे तो कभी लेटे या करवटें बदलते हुए हमें अपनी छत से दिख जाते थे. वे अक्सर ही लंबी आहें भरते भी नजर आते.
बुढ़ापे में अपने जीवनसाथी के बिना यूँ उदास पड़े  रहने की कल्पना मात्र से मेरे तन-मन में  सिहरन सी दौड़ जाती और मैं  कभी गायत्री मंत्र तो कभी हनुमान चालीसा का पाठ मन ही मन दोहराकर पतिदेव की लंबी आयु की प्रभु से मन ही मन प्रार्थना करने लगती.
पूरे नब्बे साल के हैं बाउ जी.बेचारे बेंत के सहारे खड़े होकर रेलिंग पकड़े नीचे गली में देर तलक झांक-झांककर आते-जाते लोगों को देखते और अपना मन बहलाते रहते.
-योगाभ्यास और प्रातःभ्रमण करने के लिये हम पति पत्नी रोज ही अपनी छत पर आ जाया करते.
-अरे!बड़ा बेदर्द बेटा है ये मास्टर तो..बूढ़े बाप को टीन-टप्पर की छत वाले कमरे में इतनी ऊपर छोड़ रखा है अकेला.दोपहर में तो तप जाता होगा बुरी तरह कमरा.ओह!बैरी ही हो जाता है ये जग तो बुढ़ापे का भई..कैसी बेबसी है.
-प्रभु हाथ पैर चलते रहें बस तभी उठा लेना हमें तो..
दोनों  हाथ जोड़ ये आसमान की ओर ताकते हुए कह रहे थे.
पतिदेव की बात सुनकर मैं बोली-
- हाँ जी! मैं भी यही सोच रही हूँ .
- अजी नाही मैडम जी!बड़ी अच्छी बहू और बेटा हैं इनके तो..लाॅकडाउन खुलते ही परसों भोर में  एक कांड हो गओ थो . चुपचाप जे बूढ़े बाब घूमने की खातिर पारक में पहुँच गए थे.सुबह बहूरानी ससुर जी कू चाय देने गई तो बाबा गायब..घर में ढूंढ मची, परेसान होकर बेचारी बहू जी ही पूरा काॅलोनी छान मारी रहीं. ढूंढ के लाई रहीं घर मा.जबई नीचे के कमरा से ऊपर का कोठरी मा शिफ्ट कर दिये हैं उनको.
टैरेस गार्डन के पौधों में निराई गुड़ाई करने आया हुआ माली हमारी बातें  सुनकर बीच में  ही बोल पड़ा.
-अरे अब कहाँ मिलते हैं ऐसे बेटा बहू.नसीब वालों को ही मिल सकते हैं बस.
-पतिदेव उसांस लेकर कह रहे थे.
-सुबह शाम गुड मार्निंग और गुड ईवनिंग करते  हैं हमारे साहबजादे और बहूरानी. आजकल बहू तुलसी,अदरक वाली चाय भी कितनी बढ़िया बनाकर देती है. यूट्यूब से पढ़-पढ़कर स्वादिष्ट डिशेज भी बनाने लगी है. लाॅकडाउन में  काफी बदलाव हो रहे हैं.हमारे बालक संस्कारी हैं.सेवा करने में  भी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे जी.                                      सब ठीक ही होगा.नाहक नकारात्मक विचार मन में  मत लाइये.
कहते हुए मैं पतिदेव को आश्वस्त करने का प्रयास कर रही थी.
स्वरचित-
डा. अंजु लता सिंह
नई दिल्ली

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