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Sunday, August 2, 2020

"भाई-बहन के प्रेम का बंधन है रक्षा बंधन"









            "कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी" कुछ ऐसी ही होती है ना, भाई-बहन की जोड़ी? भाई-बहन की बात आते ही सबसे पहले रक्षाबंधन का त्यौहार ध्यान में आता है। रक्षाबंधन का त्यौहार आने को है, ऐसे में अभी से ही रक्षाबंधन की तैयारी जोरो से चल रही है। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन का त्यौहार है। जो वर्ष में एक बार आता है, इन दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखियां बांधती है, बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा के वचन के साथ-साथ प्यारे-प्यारे गिफ्ट्स भी देते हैं।

“वो बहन खुशकिस्मत होती है। जिसके सर पर भाई का हाथ होता है, हर मुश्किल में उसके साथ होता है. लड़ना झगड़ना और फिर प्यार से मानना तभी तो इस रिश्ते में इतना प्यार होता हैं।”

          आज के दौर में जब रिश्ते धुधंलाते जा रहे हैं, ऐसे में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत प्रेमपूर्ण आधार देता है रक्षाबंधन का त्योहार। इस पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय महत्व है। इसे श्रावण पूर्णिमा के दिन उत्साह पूर्वक मनाया जाता है।
              रक्षाबंधन पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और राष्ट्रीय महत्व है। राखी या रक्षा बंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई एवं बहन के भावनात्मक संबंधों का प्रतीक पर्व है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है तथा उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती है। बहन के इस स्नेह बंधन से बंधकर भाई उसकी रक्षा के लिए कृत संकल्प होता है। हालांकि रक्षाबंधन की व्यापकता इससे भी कहीं ज्यादा है। राखी बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, धर्म की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है। विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ने इस पर्व पर बंग भंग के विरोध में जनजागरण किया था और इस पर्व को एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाया था।भाई-बहन के स्नेह का मजबूत धागा: बहन जब तक राखी नहीं बांधती तब तक अन्न ग्रहण नहीं करती। राखी बांधकर तथा टीका करके भाई को फल, मिष्ठान देती है। बहनें इस दिन अपने भाइयों को शुद्ध आसन पर बिठाकर उसकी दाई कलाई में रक्षा की डोर बांधती हैं। उसके कच्चे धागे में जो मजबूती होती है वह लौह जंजीरों में भी नहीं पायी जाती हैं, क्योंकि यह भावनात्मक बंधन है। रक्षा के इस कच्चे धागे  के बंधन में इतनी शक्ति होती है। शायद यही शक्ति भाई को बहन की सुरक्षा के लिए कटिबद्ध होने को प्रेरित करती है।
             आधुनिक युग में रक्षाबंधन के बदलते मायने समय के चक्र अबोध गति से चलता रहा और अनेक परिवर्तन के दौर आए। बदलते समय के साथ रक्षाबंधन के स्वरूप में भी परिवर्तन होता जा रहा है। रेशम कच्चे धागे से शुरू होकर यह पर्व आज चांदी की राखियों में परिवर्तित हेा गया है। रक्षा बंधन की मूल आत्मा के रक्षा सूत्र से बंधकर भाई बहन की रक्षा के लिए कटिबद्ध होता था, आज लुप्त होती जा रही है। इस पर आधुनिकता का रंग चढ़ता जा रहा है।रक्षाबंधन जैसा पर्व हमें इहसास दिलाता  है कि हम उनकी रक्षा के लिए आगे आकर पहल करें । रक्षाबंधन के पर्व में परस्पर एक-दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना निहित है।

*"रेशम की डोरी हाथों में, और माथे पे लगा है चंदन।*
*सलामत रहे भाई हमारा, करते है प्रभु के आगे वंदन।।"*


*राखी पटेल*
*शिक्षक कॉलोनी*
*रायपुर छत्तीसगढ़*

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