रक्षाबन्धन का त्यौहार,
भाई - बहन का अनुपम प्यार।
बिजली चमक उठी खुशियों से
रिमझिम - रिमझिम वर्षा आई,
वसुन्धरा ने जब बादल को
सतरंगी राखी पहनाई।
प्रीत के धागो के बंधन में
नेह का उमड़ रहा संसार,
रक्षाबन्धन का त्यौहार,
भाई - बहन का अनुपम प्यार।
सावन में बारिश की बूँदें
मधुरिम संगीत सुनाती है,
मेघों की मृदु ढोल ताप पर
वसुधा हँसती - गाती है।
हरे- भरे वन, बाग, खेत सब
झूम रहे घर - बार,
रक्षाबन्धन का त्यौहार,
भाई - बहन का अनुपम प्यार।
"भावुक" मोर, पपीहा, कोयल
नाचें , गाएं गीत मल्हार,
प्रेम भरा हर पल ले आये
सुखद सुगन्धित मलय बयार।
स्नेह की डोर से बँधा हुआ यह
रिश्तों का पावन उपहार,
रक्षाबन्धन का त्यौहार,
भाई - बहन का अनुपम प्यार...
डॉ.अवधेश तिवारी "भावुक"
मयूर विहार फेज-3
दिल्ली-110096
No comments:
Post a Comment