कितना पावन है रक्षा बंधन का त्योहार
एक सूत्र से बंधा , भाई-बहन का प्यार
ससुराल बैठी हर बहन पीहर को तरसे
कब आए संदेशा, आस नैनों में भर के
सुंदर रेशमी धागों में प्यार बसाती वह
भाई के लिए हर पल दुआ माँगती वह
न चाहती उपहार,माँगती भाई का प्यार
न पड़े कभी उन के पवित्र रिश्ते में दरार
भाई भी बहन को मिलने को तरसता है
सदा रक्षा करने का वह वादा करता है
पगड़ी सिर बांध बाप का फ़र्ज़ निभाता
न हो माँ तो बहन पर ममता है लुटाता
धागा बेशक कच्चा पर प्यार है पक्का
स्नेह और विश्वास का रिश्ता ये सच्चा
माँगे दोनो ख़ुशहाली एक दूजे के लिए
माँ-बाप के संस्कारों का सम्मान किए
स्वरचित
आभा मुकेश साहनी
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