रक्षाबंधन जब है आता
खुशियां संग अपार है लाता
बहनें भी फूली नहीं समाती
जब भैया उसके घर है आता
रक्षाबंधन जब है आता
खुशियां संग अपार है लाता
लगाकर कुमकुम खिलाती मिठाई
बहनें थालियाँ खूब सजाती
रेशमी धागा कलाई पे बांधा
रक्षा का लेती फिर वादा
रेशमी धागे की लाज बचाना
अपनी बहना को भूल न जाना
देखा प्यार जो भाई-बहन का
रोम-रोम सबका खिल उठता
रक्षाबंधन जब है आता
खुशियां संग अपार है लाता
कैसा पावन पर्व राखी का
जिस में समाया प्यार अनोखा
पर्व राखी का वर्ष में आता
संग हज़ारों ख़ुशियाँ लाता
रक्षाबंधन जब है आता
खुशियां संग अपार है लाता
सुनीता गर्ग
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