अपलक नैन निहार रहे है आहट सी इक मन मे,
इक सिहरन सी मचल उठी है इस आह्लादित तन में,
तार झंकृत उर के गूंजे सरगम सी जीवन मे,
ज्यों ही महके याद पिया की इस अनुरागी मन में।
कमलनयन में स्वप्न सजीले दिखलाये साजन ने,
स्मृतियों में डोल रहे ज्यूँ मृग डोले उपवन में,
मन देहरी के तोरण की झंकार बजी आंगन में,
ज्यों ही महके याद पिया की इस अनुरागी मन मे।
चंचल चपल विलोकित नैना ज्यूँ बिजली गगन में,
अधर छुपाये हिय की बातें ज्यूँ अश्रु अखियन में,
झूम रहा मन पींगे भरता आशा के मधुबन में,
ज्यों ही महकी याद पिया की इस अनुरागी मन मे।
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नाम-श्रीमती सोनाली जोशी
प्राध्यापक, हिंदी
रा.उ.मा.वि. मसोटिया,बांसवाड़ा।
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